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16 hours ago

ग्रीष्म का उद्गम स्थल

मैं यहाँ, एक झूले में, दुनिया से छिपा हुआ हूँ। मेरे हाथों में एक हल्की किताब है, सूरज की किरणें पेड़ों की चोटियों से चंचल ढंग से टूटकर मेरी त्वचा को धीरे-धीरे गुदगुदा रही हैं। एक हवा आलस से झूले को हिला रही है, और इस लय में केवल मौन, प्रकृति की सांस और मैं हूँ... शांत, वास्तविक।